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Ruchi Pareek
May 16, 2020
In Writing
"मान जाओ जरा रूक भी जाओ" रीवा के ये आखिरी शब्द आज भी मेरे कानों में गूंजते हैं। अब सोचता हूँ तो लगता है काश उस दिन मैं रूक जाता तो शायद आज मैं और रीवा साथ-साथ अपनी बेटी का कन्यादान कर रहें होते। ये तो शायद अपनी बेटी से कभी जो प्यार किया उसी के कारण आज मैं यहाँ खड़े होकर उसकी शादी देख पा रहा हूँ नहीं तो रीवा का तो मैं इतना बडा गुनाहगार हूँ कि उसको चेहरा दिखाने के लायक भी नहीं हूँ। यहाँ आये दो दिन हो गयें पर ना मैं उसके सामने गया और ना ही वो मेरे पास आयी अपनी ही बेटी की शादी में अजनबी बनकर खडा हूँ पर अपनी ही गलतियों की वजह से। पर मेरे ना होने पर भी रीवा नें कितने अच्छे से सम्भाला है सब कुछ कितनी अच्छी परवरिश दी है मेरे दोनों बच्चों को वो खुद मेरे लिए अजनबी बनी हुई है पर बच्चे मेरी इतनी गलतियों के बाद भी मुझसे कितने अच्छे से मिलें हैं और अगर रीवा चाहती तो कुहू की जिद्द ना मानती पर उसने एक बाप से उसकी बेटी की विदाई का वो खास पल नहीं छीना। अरे पापा आप यहाँ क्या कर रहें हैं चलिए आपको कन्यादान के लिए बुला रहें हैं। अशोक के बेटे ने आकर कहा... तभी अशोक का ध्यान टूटा और उसने कहा मैं और कन्यादान उसकी आंखो से खुशी के आँसु आ गयें। अशोक और रीवा नें खुशी खुशी अपनी बेटी का कन्यादान किया और उसे विदा किया। कुहू की विदाई के बाद रीवा बहुत अकेली हो गई वो अपने कमरे में बैठी कुहू की बचपन की तस्वीर देख रही थी तभी अशोक आखिरी बार रीवा से मिलने वहाँ गया। और रीवा से कहने लगा..समझ नहीं आ रहा किन शब्दों में तुम्हे धन्यवाद कहूँ कि तुमने मुझे कुहू के कन्यादान का हक दिया। तभी रीवा नें कहा..अब आप यहाँ से जा सकते हैं मैंने आजतक अपनें बच्चों की हर खुशी पुरी करनें की कोशिश की हैं मैं उनके लिए हर कदम पर उनकी माँ और पिता दोनों बनकर उनके साथ खड़ी रही पर शायद आज जब कुहू को उसके नये सफर की शुरुआत करनी थी तो उसे उसके माँ और पापा दोनों के आशीर्वाद की जरूरत थी और यें उसकी खुशी भी थी इसलिए शायद आज आप यहाँ खड़े हो नहीं तो मेरे लिए तो आप उस दिन भी लौटकर नहीं आये तो आज कैसे आते। अब आप जा सकते हैं मुझे आपसे कोई बात नहीं करनी। अशोक अपना सिर झुकाए चुपचाप वहाँ से चला गया। और रीवा अपनी 20साल पहलें की जिंदगी के बारे में सोचने लगी। कितना अच्छा था सब कुछ उसके और अशोक के बीच में कितना प्यार था दोनों को एक दुसरे से पर अशोक की शराब पीने की आदत नें उसे आवारा भी बना दिया। रीवा नें बहुत कोशिश की कि अशोक बदल जाये पर रीवा की अशोक को बदलने की कोशिशें अशोक पर हैवानियत हावी करनें लगी और उसने रीवा पर हाथ उठाना शुरू कर दिया फिर एक दिन वहीं हुआ जिसका रीवा को डर था अशोक एक बार गर्ल के लिए घर छोड़ कर चला गया रीवा ने बहुत रोकने की कोशिश की पर उसे लगा वो उस बार गर्ल के साथ नई जिंदगी शुरू करेगा पर जब तक अशोक के पास पैसा था वो अशोक के साथ थी जिस दिन पैसा नहीं रहा वो छोड़कर चली गई। अब अशोक अकेला हो गया और अपनी गलतियों पर पछताने लगा उसी बीच एक दिन कुहू की शादी का कार्ड अशोक के लिए थोडी पर छोटी खुशी ले आया। वो शादी में आया और रीवा के इतना कुछ बोलने पर भी उसने कोई जवाब ना देकर चुपचाप वहाँ से जाना ही बेहतर समझा क्योंकि शराब पीने की आदत तो उसने अब भी नहीं छोड़ी थी। और वो जानता था कि अब यहाँ रहा तो शायद फिर रीवा की ठहरी जिंदगी में कोई तुफान ला देगा। एक बार फिर अशोक रीवा की जिंदगी से जा रहा था पर रीवा अब उसे रोकना नहीं चाहती थी। क्योंकि वो थक चुकी थी अशोक से लड़ते लड़ते।
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