इन्हीं रास्तों पर नजाने
हम रोज किन किन से टकराते
कुछ अपनी दुनिया पीछे छोर, बंजारे
तो कुछ खोई चीजों की तलाश में निकले
कोई यादों की पोटली समेटे शहर बदलते
तो कुछ किसी के करीब या
किसी से दूर भागते
लोग कहते हैं,
कोई चीज खास हो तो
उसे संभाल कर रखना
थोड़ा प्यार से और
थोड़ा आराम से रखना
हो सके तो दुनिया और
लोगों की नजरों से
छुपा कर रखना
क्योंकि हर गुम हुई चीज
वापस लौट कर नहीं आता
लगातर शहर बदलने पर भी
हर खाली मकान घर नहीं लगता।
~अमृता.
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