ज़िंदा है तू ;
तो, गुन-गुना ।
औरों की धुन ,
न समझ सके ;
तो, अपनी ही धुन ;
तू, खुद बना ।
ज़िंदा है तू ;
तो, गुन गुना ।
अकेले अगर, चलना पड़े ;
तो, अपने धुन को तू ;
साथी बना ।
डर से सामना ,
करना पड़े ;
तो, अपनी धुन से तू ;
साहस बढ़ा ।
ज़िंदा है तू ;
तो, गुन गुना ।
लफ़्ज़ों की कमी, खलने लगे ;
तो, अपनी धुन का ;
सहारा, ले ज़रा ।
मन में दबे, अहसासों को ;
धुन के सहारे, कर बयान ।
मौजूदगी को, अपनी तू ;
धुन के सहारे, कर बयान ।
ज़िंदा है तू ;
तो, गुन-गुना ।
मधुर भले ही, न सही ;
पर कुछ तो तू, गुन-गुना ।
खामोशी से, बेहतर है कि ;
कुछ तो तू, गुन-गुना ।
ज़िंदा है तू ;
तो, गुन-गुना ।
ज़िंदा है तू ;
तो, गुन-गुना ।।
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