अगर आसमान के परे देख पाते,
तो शायद जानते हम क्या चाहते
अगर दुनिया के आगे सोच पाते,
तो शायद जानते हम क्या सोचते |
यूँही हाथ न छोड़ दिया होता
यूँही दिल न तोड़ दिया होता ;
हाथ थाम के शायद दो कदम,
तुम भी साथ चलते ||
सपनों के आसमान मे
चाहते थे उड़ान भरना,
पर काट दिए गए पंख
और रह गए पिंजरे के अंदर |
अगर सोच ऐसे न होते,
तो शायद हालत कुछ और होते
सपनो के जहान मे
हम उड़ रहे होते |
हाथ थाम के शायद दो कदम
वक्त भी साथ चलता ||
अगर अनजाने मे लोग न बदलते,
तो शायद दोस्त दोस्त ही रहते
अगर शब्दो की अहमियत समझ पाते,
तो शायद उन्से दिल न टूटते
अगर मुकाबला नही यह खेल होता,
तो शायद किसी को हराने की चाह न होती |
हाथ थाम के शायद दो कदम
दुशमन भी साथ चलते ||
अगर अलग नजरिया से देख पाते,
तो शायद जानते हम क्या चाहते;
हाथ थाम के शायद दो कदम
जिंदगी भी साथ चलती,
जिंदगी भी साथ चलती ||